मधुमेह के बारे में मिथक और तथ्य

डायबिटीज या मधुमेह आज के समय में डायबिटीज आम बीमारी हो गई है भारत ही नहीं बल्कि विश्व में भी आबादी के कई प्रतिशत लोग इससे ग्रसित है। यह जड़ से कभी ख़त्म ना होने वाली बीमारी है पर इसे कंट्रोल जरूर किया जा सकता है। डायबिटीज हम उस स्तिथि को कह सकते है जब शरीर की ब्लड शुगर या ग्लूकोस अधिक हो जाती है। ब्लड ग्लूकोस हमारी ऊर्जा का सबसे मुख्य स्रोत है। डायबिटीज को अगर हम समय पर इलाज द्वारा नियंत्रित ना करें तो इसका असर हमारे शरीर के अन्य भागों जैसे किडनी (गुर्दा), आंख, फेफड़ा, ह्रदय और ब्लड प्रेशर पर पड़ सकता है। इसीलिए डायबिटीज पेशेंट्स को नियमित जांच की आवश्यकता होती है।

डायबिटीज के सामान्य लक्षण इस प्रकार है

जब भी हमें हमारे शरीर में ये लक्षण दिखने लगे तो चिकित्सकीय परामर्श जरूर लेना चाहिए।

  • पैरों व घुटनों में दर्द महसूस होना।
  • दांत सम्बंधित समस्याएं।
  • वजन का अचानक बढ़ जाना या घट जाना।
  • आंखों से धुंधला दिखाई देना।
  • हाथ पैरो में सुन्नपन महसूस होना।
  • थोड़े से काम के बाद थकान और कमजोरी महसूस होना।
  • त्वचा पर घाव का जल्दी ना भरना।
  • अधिक भूख लगना।
  • बार-बार प्यास लगना।


डायबिटीज को लेकर काफी लोगो में काफी मिथ है जिनके बारें में सच्चाई जानना अति आवश्यक है।

मिथक:एक समय भोजन न करके डायबिटीज कंट्रोल किया जा सकता है।

फैक्ट: ज्यादातर लोग यह मानते है की एक समय भोजन न करके डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है, जबकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार इससे डायबिटीज एकदम से बढ़ने का खतरा रहता है अतः थोड़े थोड़े अंतराल में थोड़ा थोड़ा भोजन अवश्य लेना चाहिए।  इन हल्के आहारों से डायबिटीज शरीर में मेन्टेन रहता है।


मिथक
:डायबिटीज ज्यादातर बुजुर्गों में होता है, का उम्र के लोगो को अथवा बच्चो को इससे कोई खतरा नहीं है।

फैक्ट: डायबिटीज में उम्र का कोई मतलब नहीं होता है यह आज के समय में कई लोगो को हो रहा है जिसका मुख्य कारण है अनियमित जीवन शैली एवं खान पान। आज के समय में बच्चो में भी इसके केसेस देखे जाते है जहाँ काम उम्र में ही उनको यह समस्या हो जाती है। ज्यादातर टाइप 1 डायबिटीज बच्चो में ज्यादा देखी जा रही है जबकि युवाओ और व्यस्को में टाइप 2 ज्यादा हो रही है।  अतः  सभी उम्र के लोगो को इसमें सावधान रहना चाहिए।


मिथक
:डायबिटीज पेशेंट्स को कार्बोहाइड्रेट के सेवन से बचना चाहिए

फैक्ट: विभिन्न शोधो के हिसाब से कार्बोहाइड्रेट के सेवन को लेकर यह बात सामने आई है की इसका लिमिट में सेवन करने से डायबिटीज पेशेंट्स में कोई समस्या नहीं होती। आलू और चावल से सामान्यतया डायबिटीज पेशेंट्स दूरियां बना लेते है जबकि यह सिमित मात्रा में नुक्सान नहीं करता है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि शरीर के लिए कार्बोहाइड्रेट का सेवन भी उतना ही आवश्यक है जितना अन्य का, हालांकि डायबिटीज केसेस में इसकी मात्रा और कार्बोहाइड्रेट के प्रकार को ध्यान में रखते हुए हम ले सकते है।


मिथक
:ज़्यादा मीठा खाने से डायबिटीज़ होती है।

फैक्ट: ज्यादातर लोग मानते है की मीठा खाने से डायबिटीज होती है जबकि ऐसा नहीं है मीठे का सम्बन्ध व्यक्ति के मोटापे से होता है और मोटापे की वजह से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।


मिथक
:प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज़ हो जाने का मतलब है किआपके बच्चे को भी डायबिटीज़ हो जाएगी।

फैक्ट: यह गलत धारणा है की प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज़ हो जाने से बच्चे को भी डायबिटीज़ हो जाती है, इस स्थिति में डॉक्टर्स द्वारा ध्यान रखा जाता है जिससे इसकी संभावना बहुत कम होती है।


मिथक
:मधुमेह हमारे मेन्टल हेल्थ को इफ़ेक्ट नहीं करता

फैक्ट: ज्यादातर मधुमेह से पीड़ित लोग गुस्सा, उदासी या चिंतित महसूस करते हैं। एक समय में कई बार अपने ब्लड शुगर के स्तर की जांच करते ही हम ज्यादा तनावपूर्ण महसूस कर सकते है।


मिथक
:डायबीटीज को कंट्रोल करने के लिए डाइट और एक्सरसाइज ही काफी है।

फैक्ट:हालाँकि एक संतुलित आहार और व्यायाम आपको फिट और स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ऐसे मामले भी हो सकते हैं जिनमें ये उपाय अपने आप में अपर्याप्त हों। लेकिन चिकित्सकीय परामर्श से ली गई दवा भी उतनी ही आवश्यक है जितना डाइट और एक्सरसाइज। हमें डाइट और एक्सरसाइज में भी चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। 


निष्कर्ष

डायबिटीज को लेकर लोगो में कई भ्रांतियां है पर इनके चलते हमें डॉक्टर से परामर्श नहीं छोड़ना चाहिए अगर आपको कुछ भ्रान्ति हो तो उसे भी डॉक्टर से सलाह लेकर ही अपनाएं, अन्यथा यह प्रयोग कभी समस्याएं भी शुरू कर सकते है। बिना जानकारी या ठोस सबूत के इससे जुड़े किसी भी मिथक पर विश्वास नहीं करना चाहिए। 

 

wpChatIcon