बच्चो में मोटापे के कारण, प्रभाव और रोकथाम

“बच्चो में फल सब्जी आनाज का सेवन बढ़ाएँ,
फ़ास्ट फ़ूड से बचें और शरीर को स्वस्थ बनायें।”

बच्चो में मोटापा आजकल एक तेजी से बढ़ने वाली समस्या है। यह केवल संपन्न लोगों की समस्या नहीं है अपितु अधिकांश मध्यमवर्गीय परिवार अब इस समस्या से प्रभावित हो रहे हैं।मोटापा बच्चों में मोटापा टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग की संभावना को बढ़ाता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) की रिपोर्ट्स के अनुसार, 15.5% से अधिक भारतीय बच्चे मोटे या अधिक वजन वाले हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चो के मोटापे को आयु और लिंग के लिए 85% के बराबर या उससे अधिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के रूप में परिभाषित किया है। बचपन में मोटापे के कई कारण होते हैं जो आनुवांशिकी से लेकर एनवायर्नमेंटल तक होते हैं।

इस ब्लॉग में बच्चो में मोटापे के मुख्य कारणों के साथ-साथ कुछ प्रभावी सुझावों की सूची है, और बताया गया है कि आप अपने बच्चे का मोटापा कैसे रोक सकते हैं?

बच्चो में मोटापे के कुछ कारण इस प्रकार है:

आनुवंशिकी और मोटापा

आनुवंशिकी मोटापे से जुड़े सबसे मजबूत कारकों में से एक है। विभिन्न रिसर्च से  यह अनुमान लगाया गया है कि 68% मोटापा आनुवंशिकता के कारण होता है। बचपन के मोटापे का एक अन्य कारण लिपोडिस्ट्रोफी है, एक ऐसी स्थिति जिसके कारण व्यक्ति के वसा एडीपोस टिश्यू कम विकसित हो जाते हैं।

खाने की आदतें

एक बच्चा अपने साथियों के खाने की आदतों से प्रभावित होता हैं,जिसमे अगर आपका बच्चा दूसरे बच्चों को जंक फूड खाते हुए देखता है, तो वह भी जंक फूड खाना शुरू कर सकता है और जंक फ़ूड मोटापे को बढ़ाता है।
 

बच्चों में मोटापे के आहार संबंधी कारण

बच्चों में मोटापे के कुछ आहार संबंधी कारणों में शामिल हैं: –

अधिक कैलोरी, कम गुणवत्ता वाला आहार: यह एक ऐसा आहार है जो अनहैल्थी खाद्य पदार्थों से बहुत अधिक कैलोरी और बहुत कम विटामिन, खनिज और फाइबर प्रदान करता है।


चीनी
से भरपूर आहार:

इस आहार में चीनी और फ्रुक्टोज की मात्रा अधिक होती  है और यह बच्चों में मोटापे और टाइप 2 मधुमेह के बढ़ते जोखिम को बढ़ाता है। -अस्वस्थ भोजन संयोजन: यह एक ऐसा भोजन संयोजन है जिसमे सैचुरेटेड फैट (पनीर युक्त सैंडविच), सोडियम (एक सैंडविच के साथ सोडा) में फैट ज्यादा होता है।

बच्चो में मोटापे के प्रभाव:

  • बच्चो का मोटापा अक्सर बच्चे के शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर नेगेटिव इफ़ेक्ट डालता है।
  • टाइप 2 डायबिटीज: मोटापे और गतिहीन जीवन शैली से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
  • हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल: गलत खान-पान के कारण बच्चे को ये बीमारियां हो सकती हैं जिसके परिणामस्वरूप भविष्य में दिल का दौरा या स्ट्रोक की संभावना हो सकती है।
  • जोड़ों का दर्द: अतिरिक्त वजन घुटनों और कूल्हों पर अतिरिक्त दबाव डालता है। कूल्हे, घुटने और पीठ दर्द बच्चो में मोटापे के दुष्प्रभाव हैं।
  • सांस लेने में समस्या: अधिक वजन वाले बच्चों में अस्थमा होने की संभावना अधिक होती है।
  • फैटी लीवर रोग: अधिक फैट जमा होने के कारण लिवर में समस्या हो सकती है।

सोशल और इमोशनल इश्यूज

मोटे बच्चों को उनके सहपाठी चिढ़ाते हैं जिससे उनमे इससे आत्मविश्वास में कमी, उदासी और चिंता का ज्यादा जोखिम होता है।

मोटापे की रोकथाम

बच्चो के लिए सही आहार का चुनाव

बचपन में सही आहार का चुनाव मोटापे को रोक सकता है। कई शोधकर्ता मानते हैं कि बच्चो के मोटापे को रोकने का सबसे अच्छा तरीका बच्चों को उनकी बढ़ती उम्र दौरान पौष्टिक भोजन और नाश्ता प्रदान करना है। यदि किसी बच्चे को फल, सब्जियां और साबुत अनाज जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं, तो उसके जंक फूड खाने की संभावना कम होती है और मोटापे की समस्या कम हो जाती है।

निष्कर्ष

बच्चो का मोटापा बच्चों में एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें आनुवंशिकी और एनवायरनमेंट भी शामिल हैं। बच्चो के मोटापे को रोकने के लिए इसके कारणों की पहचान करना और प्रभावी निवारक उपायों को लागू करना महत्वपूर्ण है। आप अपने बच्चे के लिए एक पौष्टिक आहार को चयन करके उनके मोटापे को रोक सकते हैं। सुनिश्चित करें कि आप उन्हें संतुलित आहार दे रहे है।

“स्वस्थ संतुलित हो बच्चो का आहार, एनर्जी दे शरीर को अपार।”       

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