मानसून के बाद होने वाले रोग और इनकी देखभाल

सजग रहे, स्वस्थ्य रहे।

हर साल जब मानसून सीजन में बारिश होती है, तो हमारे आस पास पानी इकट्ठा हो जाता है। इस जमें हुए पानी में मच्छर और अन्य कीड़े हो जाते है जो अनेक बीमारियों का कारण बनते है। इन बीमारियों से बचने के कई सारे उपाय है जिनमे हमें पुरे कपडे पहनना, ऐसी जगह की साफ़ सफाई रखना आदि है।

मानसून के बाद की बीमारीयां क्या होती है?

मानसून के बाद की बीमारीयां दो तरह की हो सकती है एक तो जमा पानी में होने वाले मच्छर या बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियां और दूसरी मौसम या पानी की स्थिति में बदलाव के कारण होने वाली बीमारियां, कई बार ये बीमारियां गंभीर और जानलेवा भी हो सकती हैं, इसलिए इनके बारे में जागरूक रहना और अपनी सुरक्षा करना जरूरी होता है।

मानसून के बाद होने वाली बीमारीयो के लक्षण क्या आप जानते हैं कि यह लक्षण किस तरह के हो सकते है? इनमे चिकित्सा सहायता कब लेनी चाहिए?

इस तरह की कुछ मुख्य बीमारियों के लक्षण इस प्रकार है।

1. डेंगू बुखार

डेंगू बुखार एक वायरल संक्रमण है जो मच्छरों द्वारा फैलता है। डेंगू बुखार के लक्षणों में तेज बुखार, तेज सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द शामिल हैं। यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना महत्वपूर्ण है क्योंकि डेंगू बुखार घातक हो सकता है।

2. मलेरिया

मलेरिया भी एक पोस्ट मानसून बीमारी है जो मच्छरों से फैलती है। मलेरिया के लक्षणों में तेज बुखार, ठंड लगना, पसीना, सिरदर्द और मतली शामिल हैं। यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना महत्वपूर्ण है क्योंकि मलेरिया भी घातक हो सकता है।

3. टाइफाइड बुखार

टाइफाइड बुखार एक जीवाणु संक्रमण है जो दूषित भोजन या पानी से फैलता है। टाइफाइड बुखार के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, पेट दर्द, दस्त और कब्ज शामिल हैं। यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना महत्वपूर्ण है क्योंकि टाइफाइड बुखार भी घातक हो सकता है। इन सभी बिमारियों में शरीर का तापमान बढ़ जाता है, और डॉक्टर के परामर्श और केयर की बहुत जरुरत होती है।

मानसून के बाद होने वाली बीमारियों से कैसे बचें:

मानसून के बाद का समय आपके स्वास्थ्य के लिए कठिन समय हो सकता है। मौसम में बदलाव से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जिनमें से कई हवा में नमी बढ़ने के कारण होती हैं। पुरे साल के इस समय में बीमार होने से बचने के कुछ उपाय यहां दिए गए हैं:

1. खूब सारे तरल पदार्थ पिएं: यह आपके शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है और आपके सिस्टम में मौजूद किसी भी विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने में भी मदद करता है ।

2. स्वस्थ पदार्थ खाएं, एक संतुलित आहार आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करता है और आपके शरीर को किसी भी संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।

3. ठहरे हुए पानी या खड्डे में जमा होने वाले पानी से दूर रहे: यह वह जगह है जहाँ कई रोग पैदा करने वाले रोगाणु प्रजनन करते हैं, इसलिए यदि संभव हो तो इससे बचना सबसे अच्छा है। यदि आपको तहरे हुए पानी के पास जाना है, तो सुरक्षात्मक पुरे कपड़े पहनना सुनिश्चित करें।

4. अपने हाथों को साफ रखें: अपने हाथों को नियमित रूप से धोना संक्रमण को फैलने से रोकने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है।

5. अस्वस्थ महसूस होने पर डॉक्टर के पास जाएं: मानसून के बाद के मौसम से जुड़ी कई बीमारियां अगर जल्दी पकड़ में आ जाएं तो आसानी से इलाज योग्य हो जाती हैं, इसलिए अगर आप बीमार महसूस करने लगें तो चिकित्सकीय परामर्श लेने में संकोच न करें।

मानसून के बाद की बीमारियों का उपचार और रोकथाम:

मानसून के बाद का समय एक ऐसा समय होता है जब कुछ बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। क्यों कि इस समय मौसम अधिक आर्द्र होता है, जो बैक्टीरिया और वायरस के पनपने के लिए एक आदर्श वातावरण बनाता है। इस दौरान होने वाली कुछ सबसे आम बीमारियां हैं डेंगू बुखार, मलेरिया और टाइफॉइड। यहां हम इन बीमारियों से बचाव और इलाज के कुछ सुझावों पर चर्चा करेंगे।

यदि आपकी रिपोर्ट में डेंगू बुखार आता है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो यह घातक हो सकता है। डेंगू बुखार का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों से राहत पाने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। इनमें बुखार और दर्द के लिए पैरासिटामोल लेना, खूब सारे तरल पदार्थ पीना और जितना हो सके आराम करना शामिल है।

यदि आपकी रिपोर्ट में मलेरिया आता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि इसे छोड़ दिया जाए तो यह घातक भी हो सकता है।

निष्कर्ष:

मानसून के बाद के समय कई बीमारियां हो सकती है जिनसे बचने के लिए हमें सजग रहना आवश्यक होता है और आपको इनसे ज्यादा परेशानी हो रही हो तो चिकित्सकीय परामर्श सबसे आवश्यक है।

लापरवाही ना करे तुरंत चिकित्सकीय परामर्श ले और शीघ्र उपचार ले अन्यथा यह गंभीर हो सकता है।